The Compound Effect Summary In Hindi | कंपाउन्डिंग का चमत्कार

The Compound Effect Summary In Hindi | कंपाउन्डिंग का चमत्कार

दोस्तों आपने देखा होगा कि कोई इन्सान अगर सिगरेट पिता है तो उसे उसके परिणाम तुरंत नहीं दिखाई देते है , अगर कोई इन्सान जिम जाकर एक्सरसाइज करता है तो एक दिन में ही उसकी बॉडी नहीं बन जाती है , अगर आप हर महीने थोडा – थोडा निवेश करते है तो वह कुछ ही दिनों में लाखो रूपये नहीं बन जाते है ! लेकिन दोस्तों अगर आप इन चीजो को लगातार जारी रखते है तो कुछ महीनो या सालो बाद आपको उसके परिणाम दिखने शुरू हो जायेंगे , फिर थोडा और समय व्यतीत हो जाने पर आपको इसके कई गुना रिजल्ट देखने को मिल सकते है ! यह सब कंपाउंड इफ़ेक्ट के कारण ही होता है , भले ही कोई चीज सकारात्मक हो या फिर नकारात्मक !

अगर आप कोई गलत हैबिट अपनाते है तो हो सकता है उसके परिणाम आपको आज दिखाई न दे , लेकिन समय के साथ एक दिन आपको उसके भयंकर परिणाम देखने को मिलते है ऐसा ही अच्छी आदतों में होता है ! दोस्तों डैरेन हार्डी की लिखी गई पुस्तक The Compound Effect एक बेहतरीन पुस्तक है जो यह बताती है की कैसे आप अपनी लाइफ में छोटे – छोटे बदलाव करके चमत्कारिक परिणाम हासिल कर सकते है ! आज के इस आर्टिकल में हम The Compound Effect Summary In Hindi आपके साथ शेयर कर रहे है !

The Compound Effect Summary In Hindi | कंपाउन्डिंग का चमत्कार

Introduction

Book Name : द कंपाउंड इफ़ेक्ट / The Compund Effect

Book Type : Self – help Book

Book Author : डैरेन हार्डी

Book Language : हिंदी

Total Number of Pages : 160

लेखक बारे में ( About the Author )

डेरेन हार्डी का जन्म 26 फरवरी , 1971 को हुआ , यह एक अमेरिकन लेखक तथा इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर है ! उन्होंने बहुत सी किताबे लिखी है जिनमे The Compound Effect एक बेस्ट सेलर बुक है ! डैरेन हार्डी ज्यादा समृद्ध और सुखद जीवन जीने के सिद्दांत सबको सिखाना चाहते है ! वे हजारो उद्यमियों को मार्गदर्शन दे रहे है तथा कई बड़ी कम्पनियों के सलाहकार है ! इसके अलावा वे कम्पनियों और NGO के बोर्ड बोर्ड डायरेक्टर्स में भी शामिल है !

The Compound Effect Book Summary In Hindi

लेखक डैरेन हार्डी ने ‘द कंपाउंड इफ़ेक्ट’ बुक को 6 अध्यायों में विभाजित किया है ! हम यह सभी अध्यायों की समरी को शेयर कर रहे है –

अध्याय 1 : कंपाउंड इफ़ेक्ट की कार्यविधि

लेखक बताते है कि वह अपने पिताजी का काफी ज्यादा शुक्र गुजार है , क्योंकि उन्होंने ही उसे ‘कंपाउंड इफ़ेक्ट’ की शक्ति के बारे में सिखाया था ! उन्होंने लेखक के कमरे के दरवाजे पर यह भी लिखा कि “ कोई कष्ट नहीं , कोई लाभ नहीं” जिसका लेखक पर काफी ज्यादा सकारात्मक प्रभाव पड़ा ! लेखक के पिताजी उन्हें खरगोश और कछुए वाली कहानी भी बताते है और यह भी बताते है कि किसी भी प्रतिस्पर्धा में हमेशा जीत कछुए की ही होगी , क्योंकि कछुआ निरंतर और लगातार चलता रहता है ! इसी तरह से यदि कोई इन्सान लगातार थोड़ी – थोड़ी मेहनत भी करता है तो एक दिन उसे उसके संचयी परिणाम हासिल हो सकते है !

लेखक बताते है कि कैसे आप छोटे – छोटे स्टेप्स उठाकर बड़े परिणाम हासिल कर सकते है ! यह आदते इतनी सूक्ष्म या छोटी होती है कि इसे अपनाना आपके लिए बिल्कुल भी कष्टदायक नहीं होगा , लेकिन शुरुआत में इसके परिणाम आपको बिल्कुल भी दिखाई नहीं देंगे ! यही कारण है कि बहुत से लोग इन छोटी – छोटी आदतों को नहीं अपनाते है , क्योंकि उन्हें तुरंत परिणाम चाहिए जो पॉसिबल नहीं है !

इन छोटी – छोटी आदतों से आप अपनी सेहत को सुधार सकते है , अपनी बॉडी बना सकते है , अपने संबंधो को मधुर बना सकते है और अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर कर सकते है !

अध्याय 2 : चयन

लेखक बताते है कि इस संसार में हम सभी एक जैसी हालत में आते है , नंगे , डरे हुए और खाली हाथ ! यह हमारा चयन ही है जो हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचाता है ! हमारे चयन हमारे सर्वश्रेष्ठ मित्र या सबसे बुरे शत्रु हो सकते है ! वे हमें या तो अपने लक्ष्य तक पहुचाने में हमारी मदद करते है या फिर हमें अपने लक्ष्यों से दूर कर देते है ! आपको अपने चयन के बारे में सोचना चाहिए , क्योंकि आज आप जो भी कुछ है वह अपने चयन की वजह से ही है और आज आप जो भी चयन कर रहे हो भविष्य में भी आप बिल्कुल वैसा ही बनोगे !

अध्याय 3 : आदते

अरस्तु ने लिखा है , “ हम वही है जो हम बारम्बार करते है !”  मेरियम वेबस्टर ने आदत की यह परिभाषा बताई है : “व्यवहार का वह रूप , जो लगभग या पूरी तरह से स्वचालित बन चूका है !”

सरल शब्दों में आदते वह जो हम डेली रूटीन में करते है ! अगर आप ऑटोपायलट पर जी रहे है और अपनी आदतों के गुलाम है और आदतों को खुद को चलाने की अनुमति दे रहे है तो आप उस घुड़सवार की तरह है जिसे पता ही नहीं होता है कि वह कहाँ जा रहा है वह तो सिर्फ घोड़े पर बेठा है , अब चाहे घोडा उसे किसी भी रास्ते पर ले जाए !

दोस्तों आपको उस घुड़सवार की तरह बनना है जिसकी लगाम स्वयं घुड़सवार के हाथ में होती है , अब घुड़सवार जहाँ जाना चाहता है उस घोड़े को वही जाना पड़ेगा , ठीक उसी प्रकार आपको अपनी आदतों का गुलाम नहीं बनना है , आपका अपनी आदतों पर कण्ट्रोल होना चाहिए जिससे आप जो चाहे वह कर सके !

दोस्तों अगर आपने अपना कोई लक्ष्य या गोल निर्धारण किया है तो अच्छी बात है , लेकिन क्या सिर्फ लक्ष्य निर्धारण से आप उसे पा लेंगे नहीं , क्योंकि अपने लक्ष्य को पाने के लिए आपको अपनी आदते बदलनी पड़ेगी और ऐसी आदते विकसित करनी पड़ेगी जो आपको लक्ष्य पाने में मदद करे !

अध्याय 4 : गति

गति बनाना आसान नहीं है लेकिन जब आप एक बार यह कर लेते है , तो फिर आगे जो होता है वह देखने लायक होता है ! दोस्तों आपने किसी मेले में राउंड झूले को देखा होगा ! जब व्यक्ति उस गोल झूले को घुमाता है तो उसका पहला कदम बहुत भारी होता है और उसे बहुत ज्यादा एफर्ट लगाने की आवश्यकता होती है , लेकिन धीरे – धीरे एफर्ट कम होता जाता है और झुला तेज गति से घुमने लगता है ! एक समय ऐसा आता है जब आपको उसे सिर्फ ईशारा देना होता है और झुला तेज गति से घूमता रहता है !

दोस्तों अपने जीवन में परिवर्तन करना भी बिल्कुल ऐसा ही होता है ! आप एक बार में एक छोटे कदम , एक गतिविधि से प्रक्रियां शुरू करते है ! शुरुआत में आपकी यह प्रगति धीमी होती है लेकिन जब यह नई आदत बन जाती है तो कुछ समय बाद आपको इसके अच्छे परिणाम देखने को मिलते है !

अध्याय 5 : प्रभाव

इस अध्याय में ऑथर बताते है कि हर व्यक्ति तीन तरह के प्रभावों से प्रभावित होता है : पहला इनपुट ( आप अपने मन को जो खुराक देते है ), दूसरा साहचर्य ( जिन लोगो के साथ आप समय बिताते है ) , और तीसरा है परिवेश ( आपके आसपास का माहोल ) !

पहला : इनपुट ( कचरा अन्दर , कचरा बाहर )

अगर आप चाहते है कि आपका शरीर हमेशा स्वस्थ रहे तो आपको जंक फ़ूड से बचना है ! आपको सर्वोच्च गुणवत्ता के पोषक पदार्थ ही खाने चाहिए ! अगर आप चाहते है कि आपका दिमाग अच्छा प्रदर्शन करे तो आपको सतर्क रहना होगा कि आप कैसा आहार लेते है , और किस प्रकार की बातो को आप मानते है ! अगर आप अपने मन को लगातार गलत खबरों या नकारात्मक बातो से भरेंगे तो आपको इसके भयंकर परिणाम मिलेंगे , वही अगर आप अपने मन को सही और सकारात्मक बातो से भरेंगे तो आपको इसके सकारात्मक परिणाम मिलेंगे !

दूसरा : सांगत ( आपको कौन प्रभावित कर रहा है )

दोस्तों कहते है कि जैसी आपकी सांगत होगी भविष्य में वैसे ही आप बनेंगे ! अगर आप पांच व्यक्तियों के समूह में रहते है और उनमे से चार लोग सफल है तो इस बात की पूरी सम्भावना है कि पांचवे सफल व्यक्ति आप ही बनेंगे ! ऐसे आपके साथ गलत लोगो के साथ बेठने से भी हो सकता है !

इसलिए यह बेहद जरुरी है कि आप अपनी संगत को सोच – समझकर चुने ! आपको यह देखना है कि वर्तमान में आप जिन लोगो के साथ रहते है , क्या वे सकरात्मक बाते करते है , क्या वे अपने फिल्ड में सफल है अगर जवाब नहीं है तो आपको अपने संगत के लोगो को दुबारा से चुनने की जरुरत है !

तीसरा : परिवेश ( विचार बदलने से दृष्टिकोण बदलता है )

दोस्तों आपकी लाइफ पर उन लोगो का प्रभाव भी पड़ता है जो आपके आसपास रहते है ! आपके आसपास का माहोल भी आपको कुछ हद तक प्रभावित करता है ! अगर हमारे घर के आसपास के लोग अच्छे है और मेहनती है तो इस बात की पूरी सम्भावना है कि आप भी मेहनत करना शुरू कर देंगे , अगर आप एक स्टूडेंट है और आपके घर पर आपके छोटे या बड़े भाई – बहन पढाई करते है तो इस बात की पूरी सम्भावना है कि आप भी पढेंगे !

इसलिए अगर आपको सफल होना है तो यह देखे कि आपके आसपास का माहोल कैसा है ! अगर सही  है तो अच्छी बात है , लेकिन अच्छा नहीं है तो आपको उस माहोल में बदलाव करने की आवश्यकता है !

अध्याय 6 : गति बढ़ाना

दोस्तों इस अध्याय में लेखक बताते है कि अगर आप कोई कार्य करते है , और लगातार करते है तो कंपाउंड इफ़ेक्ट के कारण आपको इसके बेहतरीन परिणाम मिलेंगे , लेकिन क्या हो जब आप अपने कार्य की गति को थोडा तेज कर दे ! अगर अप ऐसा करते है तो आप अपने परिणामो से चोंक जायेंगे !

मान लीजिये अगर आप जिम जाते है और किसी वजन को या किसी एक्सरसाइज को 10 बार करते है , जो की आपकी क्षमता है ! लेकिन अगर आप कैसे भी करके इस प्रक्रिया को 12 बार करते है तो आपके शरीर पर इसके तेजी से परिणाम दिखाई देंगे ! क्योंकि जो आप दो या तीन बार अतिरिक्त प्रयास करते है वही  आपको अधिक बेहतर बनाता है !

दोस्तों आपने इस आर्टिकल में The Compound Effect Summary In Hindi को जाना ! अगर यह समरी आपको अच्छी लगी है तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करे !

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