कर्मभूमि ( उपन्यास ) समीक्षा | Karmbhoomi Book Review In Hindi

कर्मभूमि ( उपन्यास ) समीक्षा | Karmbhoomi Book Review In Hindi

मुंशी प्रेमचंद ने अपने जीवन काल में अनेक कहानियो और उपन्यासों की रचनाये की है ! उनके प्रसिद्द उपन्यासों में से एक है कर्मभूमि उपन्यास ! यह उनका एक राजनितिक उपन्यास है जिसमे उन्होंने कुछ परिवारों के माध्यम से भारतीय राजनीती की समस्याओ का सुन्दर तरीके से चरित्र चित्रण किया है ! उनका यह उपन्यास पहली बार 1932 में प्रकाशित हुआ था , इसके बाद कई प्रकाशको ने इसके अनेक संस्करण निकाल दिए है ! दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम प्रेमचंद का उपन्यास कर्मभूमि के बारे में जानेंगे ! तो आइये शुरू करते है Karmbhoomi Book Review In Hindi

कर्मभूमि ( उपन्यास ) समीक्षा | Karmbhoomi Book Review In Hindi

Introduction

Name  – Karmbhoomi / कर्मभूमि

Author – Munshi Premchand

Subject – साहित्य

Pages – 296

Languange – Hindi

Publisher – वाणी प्रकाशन

Publication Date – 2002

By on Amazon : Hindi

Karmbhoomi Book Review In Hindi

प्रेमचंद जी का उपन्यास ‘कर्मभूमि’ एक राजनितिक उपन्यास है , जिसमे भारतीय राजनीती की समस्याओ के बारे में अवगत कराया गया है ! इस उपन्यास में बताया गया है कि काशी और उसके आसपास के गाँवो में आन्दोलन होता है , इस आन्दोलन का उद्देश्य क्रांति लाना है और अहिंसा से देश को आजाद कराना है ! यह जो क्रांति हो रही थी वह गांधीजी के सत्याग्रह से प्रभावित है ! गांधीजी का कहना है कि इस आन्दोलन में हमें आगे आना चाहिए और जेलों को इतना भर देना चाहिए कि इसमें जगह ही ना बचे !

इस उपन्यास की मूल समस्या यही होती है कि जेल आंदोलनकारियो से ठूस – ठूस के भर दिए जाते है ! इस प्रकार से प्रेमचंद जी क्रांति के व्यापक पक्ष का चित्रण करते हुए तत्कालीन सभी राजनितिक और सामाजिक समस्याओ को कथानक से जोड़ देते है ! इस उपन्यास में कई समस्याओ के बारे में बताया गया है जैसे निर्धन के मकान की समस्या , अछूत की समस्या , अछूतों के मन्दिर में प्रवेश की समस्या , ब्रिटिश साम्राज्य की दमनकारी नीतियाँ , धार्मिक पाखंडता , राष्ट्र के लिए आन्दोलन करने वालो की पारिवारिक समस्याए आदि को इस उपन्यास में यथार्थवादी तरीके से बताया गया है !

प्रेमचंद जी ने ‘कर्मभूमि’ में उसके मुख्य नायक अमरकांत को एक अस्थिर गाँधीवादी के रूप में चित्रित किया गया है ! इसमें अमरकांत एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता है , और जिसका स्वभाव हमेशा समझोतावादी रहा है ! लेकिन वह राजनीती के जानकर और चरित्र से  पाक साफ है ! प्रेमचंद जी ने गाँधी जी के विचारो से प्रभावित जन समुदाय की भावनाओ तथा गाँवों में होने वाले रचनात्मक कार्यक्रमों का बखूबी उल्लेख किया गया है !

कर्मभूमि उपन्यास के मुख्य पात्र

अमरकांत – मुख्य नायक

लाला समरकान्त – अमरकांत के पिता

सुखदा  – अमरकांत की पत्नी

रेनुकांत – सुखदा का पुत्र

नैना सकीना – सुखदा की पुत्री

दोस्तों Karmbhoomi Book Review In Hindi जानकारी आपको कैसी लगी , हमें कमेंट जरुर करे !

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