निर्मला मुंशी प्रेमचंद उपन्यास समीक्षा | Nirmala Book Review In Hindi

निर्मला मुंशी प्रेमचंद उपन्यास समीक्षा | Nirmala Book Review In Hindi

दोस्तों जैसा की आप जानते है मुंशी प्रेमचंद ने अपने जीवन काल में विभिन्न उपन्यास और कहानियो की रचना की है जो भारतीय समाज को सच्चा आइना दिखाती है ! आज भी उनके कहानी और उपन्यास उतने ही लोकप्रिय है जितने उस ज़माने में हुआ करते थे ! दोस्तों आज किस इस पोस्ट में हम मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास ‘निर्मला’ की समीक्षा करेंगे ! तो आइये शुरू करते है Nirmala Book Review In Hindi / Nirmala Munshi Premchand Novel Review In Hindi

निर्मला मुंशी प्रेमचंद उपन्यास समीक्षा | Nirmala Book Review In Hindi

Introduction

उपन्यास का नाम – निर्मला / Nirmala

लेखक का नाम – मुंशी प्रेमचंद

विषय – साहित्य

कुल पृष्ठ – 184

Nirmala Book Review In Hindi

‘निर्मला’ मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित एक प्रसिद्द हिंदी उपन्यास है ! जिसका प्रकाशन सन 1927 में हुआ था ! प्रेमचंद जी द्वारा यह उपन्यास दहेज़ प्रथा और अनमेल विवाह को आधार बनाकर लिखा गया है ! इस उपन्यास की मुख्य पात्र ‘निर्मला’ नाम की एक 15 साल की सुन्दर और सुशिल लड़की है ! निर्मला की शादी से पहले ही किसी कारणवश उसके पिता की मृत्यु हो जाती है , जिससे उनके परिवार पर दुखो का पहाड़ टूट पड़ता है !

दहेज देने की क्षमता न होने के कारण निर्मला का विवाह एक अधेड़ पुरुष के साथ कर दिया जाता है जिसके पहले से 3 लड़के थे और उनकी पहली पत्नी की मौत हो चुकी होती है !

निर्मला चरित्र की पवित्र होने के बावजूद भी उसे समाज और अपने पति की गलत नजरो का शिकार होना पड़ता है ! इससे उन्हें समाज में अनादर का सामना करना पड़ता है ! इस प्रकार निर्मला विभिन्न परिस्थितियों को सहती हुई अंत में मृत्यु को प्राप्त होती है !

निर्मला उपन्यास में मुंशी प्रेमचंद ने दहेज़ प्रथा और अनमेल विवाह का मार्मिक चित्रण किया है ! इस उपन्यास में बिना सहमती के विवाह और दहेज़ के कारण होने वाले दुष्प्रभावो का सटीकता से वर्णन किया गया है ! साथ ही एक नारी की सहिष्णुता का भी बखूबी वर्णन किया गया है ! एक नारी ही है जो तमाम बुराइयों और विपरीत परिस्थितियों का बखूबी सामना कर सकती है !

अगर हम आज के भारतीय समाज की बात करे तो कई निर्मला ऐसी मिल जाएगी जिन्हें समाज में कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है ! कई महिलाये अनमेल विवाह और दहेज़ के कारण मौत का शिकार हो जाती है !

निर्मला उपन्यास के मुख्य पात्र

निर्मला – मुंशी जी ( तोताराम ) की पत्नी

मंसाराम – मुंशी जी का बड़ा बेटा

जियाराम , सियाराम – मुंशी जी के छोटे बेटे

रुक्मणि – मुंशी जी की विधवा बहन

कृष्णा – निर्मला की बहन

Conclusion

प्रेमचंद जी ने निर्मला उपन्यास की भाषा को काफी सरल और समझने योग्य बनाया है ! इस उपन्यास में निर्मला को मुख्या पात्र बनाया गया है ! यह उपन्यास महिलाओ के संघर्ष और सहिष्णुता को दिखाता है ! कैसे एक महिला चरित्रवान होते हुए भी उसे समाज की गलत निगाहों का सामना करना पड़ता है ! इस उपन्यास में कई किरदारों की मौत हो जाती है ! निर्मला को भी विभिन्न दुखो का सामना करना पड़ता है , इसके बावजूद भी वह हिम्मत नहीं हारती है और परेशानियों का डटकर सामना करती है !

एक दिन ऐसा आता है जब वह हालातो का सामना करते – करते इस दुनियां को सदा के लिए अलविदा कह जाती है ! दोस्तों प्रेमचंद जी का यह उपन्यास एक नारी की सहिष्णुता को दिखाता है ! अगर आप नारी की सहिष्णुता और सहनशीलता को जानना और समझना चाहते है तो निर्मल उपन्यास को एक बार अवश्य पढ़े !

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