Vivekanand Ki Atmakatha Book Summary In Hindi – स्वामी विवेकानंद की जीवनी

 Vivekanand Ki Atmakatha Book Summary In Hindi – स्वामी विवेकानंद की जीवनी

इस संसार में ऐसे कई महापुरुष हुए है जिन्होंने अपने विचार , कर्म और वाणी से इस जगत को प्रभावित किया है ! स्वामी विवेकाननद भी उन महापुरुषों में से एक थे ! स्वामी विवेकनद आज के युवाओ के लिए प्रेरणा स्त्रोत है और आदर्श प्रस्तुत करते है ! उनका आत्मिक बल आज की पीढ़ी के लिए मिसाल है ! उनके कार्य और शिक्षाए आज भी युवाओ को सत्य के रास्ते पर चलना और फल की कामना किये बिना सेवा करना सिखाते है ! दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम Vivekanand Ki Atmakatha Book Summary In Hindi शेयर कर रहे है , उम्मीद करते है यह आपको जरुर पसंद आयेगी !

Vivekanand Ki Atmakatha Book Summary In Hindi – स्वामी विवेकानंद की जीवनी

स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय

विवेक यानी नरेंद्र दत का जन्म आज से 152 साल पहले 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ ! विवेकानंद का बचपन का नाम नरेन्द्र दत था ! नरेन्द्र दत की माता का नाम भुवनेश्वरी और पिता का नाम विश्वनाथ दत था ! उनके पिता एक संपन्न इन्सान थे और पेशे से वकील थे ! नरेन्द्र के अलावा उनके दो और बेटे भी थे ! उनके दादा श्रीदुर्गाचरण ने ईश्वर प्राप्ति की अभिलाषा से गृहत्याग कर दिया था !

जब नरेन्द्र माँ के गर्भ में थे तो उनकी माँ उन्हें गर्भसंस्कार देने के लिए शिव की खूब आराधना करती थी , लेकिन उस समय उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि उनके बच्चे में वास्तव में कौन से संस्कार पड़ रहे है ! बाद में जब उन्हें पता चला कि उनका बेटा सन्यासी बनने वाला है तो वे हैरान रह गई , क्योंकि उस समय वे इसे नकारात्मक भावना से देख रही थी ! परन्तु धीरे – धीरे उन्होंने इस बात को स्वीकार कर लिए और अपने पुत्र पर गर्व भी करने लगी !

नरेन्द्र का साहसी बचपन

तेज बुद्दी के साथ ही नरेन्द्र स्वभाव से बहुत निडर भी थे ! मात्र छः साल की उम्र में ही एक बार जब वे अपने कुछ दोस्तों के साथ कही से लौट रहे थे ! सड़क के किनारे पर चलते – चलते उनकी टोली का एक दोस्त अनजाने में बीच रास्ते में चला गया ! तभी उसने देखा कि एक घोडा गाड़ी तेजी से उनकी तरफ चली आ रही है ! डर के मारे वह बच्चा कुछ सोच समझ नहीं पाया और वैसे ही खड़ा रह गया ! घोडा गाड़ी बहुत पास आ चुकी थी ! आस – पास के लोगो को लगा कि अब तो यह बच्चा जरुर घोड़े की टांगो के बिच कुचला जायेगा , लेकिन तभी नरेन्द्र बिजली की गति से उसकी और लपके और उसे एक तरफ कर उसकी जान बचा ली ! लोगो ने नन्हे नरेन्द्र के इस बहादुरीभरे कारनामे की बहुत प्रशंसा की और उसकी माँ को जाकर सब कुछ बताया ! अपने लाडले पुत्र के इस काम के बारे में सुनकर माँ की आँखों से आंसू बहने लगे और उन्होंने नरेन्द्र को गले लगाते हुए कहाँ , “ईश्वर करे , तु हमेशा इसी तरह लोगो की मदद करता रहे !”

स्वामी विवेकानंद की शिकागो यात्रा

शिकागो की धर्म महासभा में स्वामीजी का भाषण “मेरे प्यारे भाइयो और बहनों” कहकर शुरू हुआ , जो लोगो को इतना पसंद आया कि काफी देर तक उनके भाषण पर तालियाँ बजती रही ! सरे श्रोता मंत्रमुग्ध होकर उनका भाषण सुनते रहे ! इस सफलता के बाद स्वामीजी की धूम सारे अमेरिका में मच गई ! देखते ही देखते हजारो लोग उनके शिष्य बन गए ! अपने व्याख्यान से स्वामीजी ने यह सिद्ध कर दिखाया कि हिन्दू धर्म श्रेष्ठ धर्म है ! जिसमे सभी धर्मो को अपने अन्दर समाहित करने की क्षमता है ! भारतीय संस्कृति किसी की निंदा नहीं करती ! अपने कार्य से स्वामी विवेकानंद ने सात समुन्दर पार भारतीय संस्कृति की ध्वजा फहराई !

कर्म और विवेक के योग की मिसाल

स्वामी विवेकानंद के पास निःस्वार्थ भाव की शक्ति थी जिसके कारण उनका दृष्टिकोण बहुजनहिताय का था ! वे देख रहे थे , ‘भारत की स्थिति कमजोर है और यहाँ के लोगो के लिए कुछ करना चाहिए …भूखे लोगो को खाना मिलना चाहिए ….जरूरतमंद लोगो की जरूरते पूरी होनी चाहिए और हर किसी को धर्मदान मिलना चाहिए !’ जब वे विदेश गए और उन्होंने वहा के लोगो कि कर्मशीलता और प्रोद्योगिकी का अनुभव किया तो काफी प्रभावित हुए ! उन्होंने कहाँ , “देश – विदेश का योग होना चाहिए ! भारत उन्हें धर्म दे सकता है और वे भारत को प्रोद्योगिकी व् कर्मशीलता दे सकते है ! भारत के लोग अंतर्मुखी है इसलिए यहाँ अध्यात्मिक दौलत है जबकि विदेश में लोग कर्म में बहुत आगे है , उन्होंने जो कार्य किये है , जो खोजे की है , वे बहुत महत्वपूर्ण है ! अगर ये दोनों एक दुसरे से जुड़ जाए तो एक संतुलन की शक्ति तैयार हो सकती है !

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