प्रतिज्ञा मुंशी प्रेमचंद उपन्यास समीक्षा | Pratigya Book Review In Hindi
हेल्लो फ्रेंड्स , जैसा की आप सभी जानते है मुंशी प्रेमचंद जी ने अपने जीवनकाल में अनेक प्रसिद्द कहानियां तथा उपन्यासों की रचना कि है ! उनकी कहानियां और उपन्यास हमें आज भी आश्चर्यचकित कर देते है ! समाज को सच्चा आइना दिखाती उनकी कहानियां और उपन्यास आज भी उतने ही प्रासंगिक जितने उस ज़माने में थे ! दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम मुंशी प्रेमचंद जी के प्रसिद्द उपन्यासों में से प्रतिज्ञा उपन्यास की आज हम समीक्षा करेंगे ! तो आइये शुरू करते है Pratigya Book Review In Hindi / Pratigya Munshi Premchand Novel Review In Hindi
प्रतिज्ञा मुंशी प्रेमचंद उपन्यास समीक्षा | Pratigya Book Review In Hindi
Introduction
Name : प्रतिज्ञा / Pratigya
Author : मुंशी प्रेमचंद
Subject : साहित्य
No. of Pages : 168
Pratigya Book Review In Hindi
‘प्रतिज्ञा’ मुंशी प्रेमचंद जी का एक हिंदी उपन्यास है ! इस उपन्यास में मुंशी प्रेमचंद जी ने यह बताने का प्रयास किया है कि कैसे भारतीय समाज में एक नारी को किन – किन विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है ! समाज में लोग नारी की विवश्ताओ का कैसे फायदा उठाते है ?
‘प्रतिज्ञा’ उपन्यास का नायक अमृतराय जिसकी सोच यह होती है कि वह एक विधवा से शादी करे ताकि उसका नवयोवन जीवन नष्ट न हो !
इस उपन्यास में नायिका पूर्णा एक आश्रयहीन विधवा है ! समाज के भूखे भेडिये उनको गलत नजरो से देखते है तथा उसके संयम की परीक्षा लेना चाहते है !
आज के समय में भी देखा जाए तो इस उपन्यास की कहानी आज के समाज में बिल्कुल सटीक बैठती है ! आज भी भारतीय समाज में लोग विधवा को गलत नजर से देखते है ! यही कारण है कि उन्हें समाज में रहते हुए भी सहयोग के बजाय कई प्रकार की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है !
बात – बात पर उन्हें लोगो की आलोचनाओ का सामना करना पड़ता है ! लोग इनके चरित्र पर भी सवालियां निशान करते है ! समाज में गठिया सोच ले लोग एक विधवा को गलत नजरो से देखते है तथा उनकी मज़बूरी का गलत फायदा उठाने का प्रयास करते है !
प्रतिज्ञा उपन्यास के मुख्य पात्र
अमृतराय – मुख्य पात्र
पूर्णा – विधवा औरत तथा प्रतिज्ञा उपन्यास की नायिका
प्रेमा – दाननाद की पत्नी
दाननाद – अमृतराय का मित्र
लाला बद्री प्रसाद – प्रेमा के पिता
कमलाप्रसाद – लाला बद्रीप्रसाद का बेटा
Conclusion
मुंशी प्रेमचंद का उपन्यास ‘प्रतिज्ञा’ एक महान कृति है ! उन्होंने अपनी जादुई लेखन कला से भारतीय समाज में हो रही एक नारी के साथ विवशता और विषम परिस्थितियों का चित्रण दिखाया है !
इस उपन्यास में प्रेमचंद जी ने समाज में एक विधवा के साथ हो रही विषम परिस्थितियों का सजीव चरित्र – चित्रण किया है ! लेखक ने अपनी लेखनी कला के माध्यम से यह स्पष्ट समझाने का प्रयास किया है कि कैसे समाज के दुराचारी लोग एक विधवा की मजबूरियों का गलत फायदा उठाते है !
इस उपन्यास में प्रेमा तथा पूर्णा को एक आदर्श नारी के रूप में दिखाया हिया जबकि कमलाप्रसाद को समाज में रहने वाला दुराचारी के रूप में दिखाया है !
इस उपन्यास की भाषा काफी सरल और व्यावहारिक है ! यही कारण है कि इसका हर एक पात्र सजीव जान पड़ता है !
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